...

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तुमसे मिलना
तुमसे मिलना सोचता हूँ क्यों जरूरी था ।
क्या सिर्फ मैं तड़प रहा था कि तेरी भी मजबूरी था ॥

पत्थर दिल इंसान नहीं हूँ कि छोड़कर चला जाऊँ ।
जिस तरह तेरी मजबूरी था उसी तरह मेरी भी मजबूरी था ॥

पहचान तो मैं ले हीं लेता किसी तरह तुम्हें भी ।
तुम्हारे दिल से मेरे दिल का कुछ ज्यादा नहीं दूरी था ॥

प्रेम लगन से करता हूँ तभी मैं भी तेरा हूँ ।
प्यार मेरा थोड़ी हद से बहुत हीं मजबूती था ॥

किसी तरह तुम मेरी हो जाओ मैं पूर्ण हो जाऊंगा ।
तुम्हारी कदम से थोड़ी चलता क्या फिर दूरी था ॥
© ✍️ विश्वकर्मा जी