...

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प्रिये
मैं शहर का शोर शराबा,
तू गांव जैसी शांत प्रिये !

मैं उलझा हुआ सा ख़्वाब कोई,
तू सुलझी हुई सी बात प्रिये !

मैं दोपहर की चिकचिक,
तू सुकून भरा रात प्रिये !

मैं दूरियों का...