...

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दोस्ती
ज़िंदगी की इस कश्मकश मैं वैसे तो मैं भी बहुत busy हूं, लेकिन वक्त का बहाना बनाकर अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता...!

जहां यार याद न आए, वो तनहाई किस काम की और जहां बिगड़े रिश्ते न बने तो ख़ुदाई किस काम की...!

बेशक अपनी मंजिल तक जाना हैं, पर जहां से यार न दिखें वो ऊँचाई किस काम की...!
- श्रावणी संजय.