तुम
मेरी तकलीफ़ों की
दवा हो तुम…
मैं ज़िन्दा हूँ
मेरी वजह_हो_तुम
होंठों की बयानी
बेवजह हो चलीं…
के मेरी नज़्मों में
हर_जगह_हो_तुम
हाँ मेरी नींदों में
वो बेचैनी ही सही…
तन्हाई में भी
मेरी सदा_हो_तुम
ख़ूबसूरत मुक़ाम
जिसे इश्क़...
दवा हो तुम…
मैं ज़िन्दा हूँ
मेरी वजह_हो_तुम
होंठों की बयानी
बेवजह हो चलीं…
के मेरी नज़्मों में
हर_जगह_हो_तुम
हाँ मेरी नींदों में
वो बेचैनी ही सही…
तन्हाई में भी
मेरी सदा_हो_तुम
ख़ूबसूरत मुक़ाम
जिसे इश्क़...