...

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ये कैसी धुंध है उसके यादों का ये कैसा बादल है !!
वक्त का पहिया मोडे मुड़ता नहीं है
वो एक शख्स मेरे जहन से उतरता नही है
और वो बस रहा है यहीं कहीं अंदर मेरे घरौंदा बनाके
जो खत डालो तो जवाब आता है वो अब वहां बसता नही है
और ये नजर है मेरी जो बस उसे तलाश करती है
कहां है वो कैसा है उसकी खैरियत का सवाल करती है...