...

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साँवरे
राधा बुला रही है चले आओ साँवरे
नैनों से बह रही है जलधार साँवरे

मैं ढूँढ़ती हूँ श्याम तुम्हें गाँव गाँव में
नैना अधीर पड़ गये हैं छाले पाँव में
अधरों से लड़खड़ाती पुकार साँवरे
राधा बुला रही है चले आओ साँवरे..!

ना जाने कौन देश मेरे श्याम बस गये
हम याद में तुम्हारी घनश्याम जल गये
इक बार आ के कर दो उपकार साँवरे
राधा बुला रही है चले आओ साँवरे...!

मझधार बीच छोड़ हमें जाओगे कहाँ
राधा के बिना श्याम क्या रह पाओगे वहाँ
नैया लगा दो मेरी भवपार साँवरे
राधा बुला रही है चले आओ साँवरे..!

नैनों से बह रही है जलधार साँवरे
राधा बुला रही है चले आओ साँवरे..!
written by Rakesh Kumar Soni
(Advocate)