...

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दिल के अल्फाज
तेरी यादों की कई सूरत हैं
मैं किस चेहरे पर जाऊँ
तेरी ख्वाहिश पे ही ज़िंदा हूँ
तेरी ख्वाहिश पे ही मर जाऊँ..!!

सपने सपने उड़ती है नींद मेरी
आवारा फिरती है उम्मीद मेरी
अब इक ही ज़रिया है
आंखों का दरिया है
इस दरिया में डूबुं या तर जाऊँ

तेरी ख्वाहिश पे ही ज़िंदा हूँ
तेरी ख्वाहिश पे ही मर जाऊँ..!!

अब निकल रहा है बातों में
तू फिसल रहा है आंखों में
दिल का वो मंज़र है
इक पथ्थर का घर है
मैं भटकूँ या अपने घर जाऊँ

तेरी ख्वाहिश पे ही ज़िंदा हूँ
तेरी ख्वाहिश पे ही मर जाऊँ..!!

कदमों को पड़ेगा सस्ता सा
जो दूर है थोड़ा रस्ता सा
मुझ पर ये करम होता ही नहीं
अब सफर खतम होता ही नहीं
तू ही बता मैं और किधर जाऊँ

तेरी ख्वाहिश पे ही ज़िंदा हूँ
तेरी ख्वाहिश पे ही मर जाऊँ..!!

#शुभ_रात्रि ❤️🙏🏻