दहाड़ से चिता तक
रावण का नाम, दहाड़ से भरा,
ज्ञान का समुंदर, पर दिल में जला।
सोने की लंका, ताकत की मूरत,
पर चरित्र की कमी ने लिखी उसकी सूरत।
तपस्या की सालों, सब कुछ कमाया,
पर मन की आग ने उसे ही जलाया।
देवता भी झुके, पर वो खुद को न समझा,
शक्ति थी उसकी, पर अधर्म का था रस्ता।
शस्त्रों का मालिक, शास्त्रों का ज्ञानी,
पर लोलुपता में खो दी...
ज्ञान का समुंदर, पर दिल में जला।
सोने की लंका, ताकत की मूरत,
पर चरित्र की कमी ने लिखी उसकी सूरत।
तपस्या की सालों, सब कुछ कमाया,
पर मन की आग ने उसे ही जलाया।
देवता भी झुके, पर वो खुद को न समझा,
शक्ति थी उसकी, पर अधर्म का था रस्ता।
शस्त्रों का मालिक, शास्त्रों का ज्ञानी,
पर लोलुपता में खो दी...