गुमसुम
ख्वाब तो देखे ही है, थोड़े थे तो थोड़े ही सही,
अब इतना भी मत बनो की इश्क़ हुआ ही नहीं,
कहो की तुमने मुझसे मेरा जिक्र किया ही नहीं,
कहो की जागते हुए सपने में मुझे छुआ ही नहीं,
ढूँढते रहते हो तुम कुछ हर एक पहर...
अब इतना भी मत बनो की इश्क़ हुआ ही नहीं,
कहो की तुमने मुझसे मेरा जिक्र किया ही नहीं,
कहो की जागते हुए सपने में मुझे छुआ ही नहीं,
ढूँढते रहते हो तुम कुछ हर एक पहर...