...

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कंगन।
कि क्यों बेखबर हो तुम मेरी हालात से
क्या उदास हो तुम मेरी किसी बात से।
अगर मेरी कोई बात दिल पे लगी हो तो बता दो
क्यूं खेलते हो तुम मेरे जज़्बात से ।
तुम्हे याद है जो कंगन मैने तुम्हे दिया था
अरे वो जो पहनाया था मैंने अपने हाथ से ।
आज वो कंगन नही है तुम्हारे हाथों में
"खैर छोड़ो"।
शायद दुनियां जलती है तेरे मेरे साथ से
अरे फिर कहां खो गय तुम गौर तो करो
जो कह रहा हु आपसे।
© Anurag Kumar