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खामोशी
खामोश जुबा है तुम्हारी,
खामोश जुबा है हमारी,
तुम, यूँ ही,
ख़ामोशी से कहना
आँखों ही आँखों से,
मोहब्बत का
हमें जाम पिलाना...
तुम, यू ही,
होठो को खामोश रखना
तमाम उम्र पडी है,
इज़हारे ए वफ़ा की
तुम, यू ही,
सही वक़्त का इंतज़ार करना
वस्ल की रात की तमन्ना में
जिए जायेंगे हम
तुम, यू ही,
रोज ख्वाबो में आना
खामोश जुबा है हमारी,
तुम, यूँ ही,
ख़ामोशी से कहना
आँखों ही आँखों से,
मोहब्बत का
हमें जाम पिलाना...
तुम, यू ही,
होठो को खामोश रखना
तमाम उम्र पडी है,
इज़हारे ए वफ़ा की
तुम, यू ही,
सही वक़्त का इंतज़ार करना
वस्ल की रात की तमन्ना में
जिए जायेंगे हम
तुम, यू ही,
रोज ख्वाबो में आना
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