सूना जीवन
क्या तुमने ऐसा जीवन जिया है:
जहाँ तुम्हारे अपने ही तुम्हें दगा देते हैं,
जहाँ अपना मतलब निकलने के बाद वो तुम्हें भुला देते हैं,
जहाँ अपनों के साथ रहकर भी अकेलेपन का अहसास होता है,
जहाँ केवल अकेले में बिताया हुआ पल ही खास होता है,
और दूसरों के साथ तन्हाई का अहसास होता है,
हाँ, मैं ऐसा ही जीवन जी रही हूँ,
अपने जख्मों को खुद ही सीं रही हूँ,
हाँ, मैं यथार्थ में सूना जीवन जी रही हूँ!!
जहाँ तुम्हारे अपने ही तुम्हें दगा देते हैं,
जहाँ अपना मतलब निकलने के बाद वो तुम्हें भुला देते हैं,
जहाँ अपनों के साथ रहकर भी अकेलेपन का अहसास होता है,
जहाँ केवल अकेले में बिताया हुआ पल ही खास होता है,
और दूसरों के साथ तन्हाई का अहसास होता है,
हाँ, मैं ऐसा ही जीवन जी रही हूँ,
अपने जख्मों को खुद ही सीं रही हूँ,
हाँ, मैं यथार्थ में सूना जीवन जी रही हूँ!!