...

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सुबह होती नहीं, शाम ढलती नहीं !!
सुबह होती नहीं, शाम ढलती नहीं,
वो कहते हैं, हमारे आगे उनकी चलती नहीं..

वो टकटकी बांधकर देखना उनका,
बात जैसे आज की ही हो, कल-की नहीं..

मेरी कमर पर बंधा चाबियों का एक गुच्छा,
पर उनके दिल के ताले की चाबी मिलती नहीं..

अपने लफ़्ज़ों में मयखाना दबाकर बैठे हैं वो,
कि होश आ जाने के बाद भी मैं संभलती नहीं..

सुबह होती नहीं, शाम ढलती नहीं,
वो कहते हैं, हमारे आगे उनकी चलती नहीं !!

#PoeticEra #Love #Writco
© Alfaaz_The Unleashed