...

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अभी ना हुए हम अंकल आंटी
आओ रे आओ सब मिल कर गाओ,
मेरे सुर से तुम अपनी ताल मिलाओ।।
अभी ना हुए हम अंकल आंटी ......
अभी तो है हम बंटी और बबली।।
क्यों जी नानी और काकी...
कैसी लगीं हमारी पातीं...??
जरा सब्र करो जी ,जरा ठहर चलो जी ...!
इतनी भी क्या है जल्दी..?
कुछ मेरी सुनो जी,कुछ अपनी कहो जी,
हम दूर से आए जरा गले मिलो जी,
बहुत दिनों की अपनी बात है बाक़ी
गोरे गाल पे चश्मा लाल है बाकी
अच्छी भली हैं अपनी जिंदगी,
क्यों बढ़ा रहें हो टेंशन
कह कर अंकल और आंटी "
थोड़ी और जी लेने दो,
खुशियों के प्याले पी लेने दो।।
अपनी तुम से नहीं हैं कोई दुश्मनी..?
फिर काहे तुम हमारा मज़ाक़ उड़ा रहें हो जी..??
किरण

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