...

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जान-ऐ-जा
जान-ऐ-जां तू मुझे छोड़कर किसी ओर से शादी तो कर लेगा,
मगर तू मुझे भी याद करता रहेगा,
और यह मसला उम्रभर हल नही होगा,
जान-ऐ-जां तेरे जिस्म को छूकर वह तुझे अपना तो बना लेगा,
मेरे इश्क के बिना तू कभी मुकम्मल नही होगा,
उसके छूने भर से तू उसे प्यार तो कर लेगा,
तेरे जिस्म से नही ,तुझे कोई दिल से प्यार करे जान-ऐ-जां तू उम्रभर तरसता रहेगा,
जान-ऐ-जां मुझे हर शख्स में तलाशोगी ,
मुझ जैसे तुम तलाश लोगी इतना भी मुयस्सर नही होगा,
जान-ऐ-जां इस जहान में मेरे सिवा कोई दूजा नही होगा,
इस दुनिया मे किसी के साथ ज़िंदगी गुजार तो लोगी,
जान-ऐ-जां मेरे बगैर तू कभी मुकम्मल नही होगा,
तेरे जाने के बाद मै तो मर ही जाऊंगा,
अगर बच भी गया तो क्या फायदा ,
तू जब भी कही मुझे अनजाने में मिलेगी,
जान-ऐ-जां तुझे मै खुद में ही मुकम्मल नही मिलुंगा।
© Verma Sahab