...

5 views

आनंद का विस्तार
भौतिकता के उसूलों ने जब तोड़ डाला अंतः करण को,
मशीनी जिंदगी ने ऊबा डाला कोमल भाव तंतुओं को;
संसार की मतलबी बातों की दूषित वायु ने,
मानस पटल को जब झकझोरा;
आत्म बोध की बातों को मजाक समझ कर जब,
जग की स्वार्थी घाटों ने निचोड़ा;
तब तब ध्यान गहरा हुआ,
मन में सदाशिव का पहरा हुआ,
हुआ आनंद का विस्तार।।