...

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ये आंखो से आँसू चले आ रहे हैं
#WritcoPoemPrompt38
Tarry not towards the end,
Await and appreciate,
As you are now,
Your sorrow and your joy...
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ये आंखो से आँसू चले आ रहे हैं
वो गम बनके हमपे सितम ढा रहे है

कुछ कहना न सुनना, रहा अब न हमसे
वो राहे ज़ुदा सब ,किए जा रहे है
तकदीर अपनी कर लेंगे रोशन
अंधेरे वो हमको दिए जा रहे है

ये आंखो से आँसू ,चले आ रहे हैं
वो गम बनके हमपे, सितम ढा रहे है

देदी है खुशियाँ, जहाँ भर की उनकों
वो रातों की नींदे ,लिए जा रहे है
हमें तोड़ दे या बर्बाद कर दे
नज़र से वो नजारे दिखे जा रहे है

ये आंखो से आँसू ,चले आ रहे हैं
वो गम बनके हमपे, सितम ढा रहे है

शिवेन्द्र सिंह सोनू