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मैं वो नहीं जो...
मैं वो नहीं जो
योहीं काफिला बदल लूँ,
जब-तक हद है तुम्हारी
मैं तब-तक साथ चलूं।
डगर चाहे कितनी भी हो मुश्किल,
मुझे तो चलते रहने का पयाम आया है।
मैं वो नहीं जो चंद हवाओं के झोकों से अपना रास्ता बदल लूँ।
दुनिया के आईने में भले ही मुझे
कम या ज्यादा समझा जाएगा,
फिर भी मुझे किसी के जैसा नहीं होना,
मैं वो नहीं जो जमाने के कहे अनुसार अपनी फितरत बदल लूं।
✍️मनीषा मीना