...

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कविता- बुलंद है हौसलें।।
तू कदम से कदम बढ़ा।
रुक मत फासलें कम हो जाने से।।

तू तो सागर है।
फिर क्यों रुकता है,इनकी बौछारों-से।।

तू डर मत।
किसीके डराने से।।

तुझे तो आसियाना बनाना है।
फिर क्यों ढील दे रखी अपने बुलंद अरमानों को।।

बेरुखी ज़बान है, इनकी ।
तू टूट मत इनकी बातों से।।

माना मुश्किल है सफर ।
पर तू तो मजबूत है, इन चट्टानों-से।।

तू तो एक प्रबल...