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Post Independence
सिटी बजाकर.. वहां गाड़ी रुकी
आ गया स्टेशन... उतरिए सभी
काफी कच्चा प्लेटफॉर्म..देखो अगर
यहीं का स्थल...जहां है जाना अभी

मध्य प्रदेश का.. एक छोटा सा गांव
पगडंडी सा मार्ग ... झाबुआ है नाम
यहां पर रहती ..वो नामचीन हस्ती
जिसकी पसंद ..अपनी दिनचर्या आम

पहुंचे पूछ पूछ कर ..कहां पर है रहती
हर घर टटोला ..सभी कोसो दूर का कहती
आखिरकार ..वह जगह भी सामने पाई
जिसके लिए ..यहां तक आयी अपनी कश्ती

जगरानी देवी ..और उनका टूटा सा झोपड़ा
मिल ही गई ..अम्मा का दृश्य अनोखा
काफी समय बाद ...हुई है भेंट आपसे
आखिरकार ..समय ने बिल्कुल ना रोका

बात..1947 आज़ादी की शुरुआत की
देश अपना ...अब संपूर्ण भारत साथ की
कैसी हो अम्मा...फिर से पूछा उसने धीरे से
वाह क्रांतिकारी बेटे..ऐसे उन्होंने बात की

सदाशिव मलकपुरकर झांसी से था आया
काफी छानबीन से ...मिला फिर ये पता
सुना था ... गांव निकाला दिया है आपको
ऐसी आफत कैसी ..ओर कब हुई ये खता

बोली फिर अम्मा ..यह उसके समय से ही है
चंद्रशेखर आजाद ..जब अंग्रेजो के सामने खड़ा
वह तो था ही साहसी ..अब बात आई मुझपर
बस इसी कारण ..एक कोने में है यह झोपड़ा

जैसे ही उसने यह सुनी ..वैसे ही वह बोला
चलो मेरे साथ ..ओर लाया अम्मा झांसी फिर
आज जगरानी देवी का समाधि स्थल वहीं पर
संचालित प्रतिमा ..भारत का दृश्य स्थल स्थिर