एहसास
यूं तो बहुत मन किया किसी के कंधो पे,
किसी की गोद पे शिर रख कुछ पल गुजारूं,
जब थक जाऊं, कोई शिर पे हांथ रखे
और मैं सो जाऊं,
पर फिर कहीं दूर तरसती है वो भी,
वो हांथ अब दूर से ही मुझे संभालते हैं,
वो आज भी सपने में बैग भरकर दौड़कर आके,
मैं छोड़ आई थी कुछ किताबें,
ये कहकर बैग दे जाती है,
सच कहूं तो अब वो बातें रुलाती हैं,
चोंट लगने पे अब भी तेरी याद आती है,
वो बात अलग...
किसी की गोद पे शिर रख कुछ पल गुजारूं,
जब थक जाऊं, कोई शिर पे हांथ रखे
और मैं सो जाऊं,
पर फिर कहीं दूर तरसती है वो भी,
वो हांथ अब दूर से ही मुझे संभालते हैं,
वो आज भी सपने में बैग भरकर दौड़कर आके,
मैं छोड़ आई थी कुछ किताबें,
ये कहकर बैग दे जाती है,
सच कहूं तो अब वो बातें रुलाती हैं,
चोंट लगने पे अब भी तेरी याद आती है,
वो बात अलग...