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सुबह और शाम
सुबह और शाम
बिता दिन बीती रात, रीते ही बीते ये " सुबह और शाम ",
मगर ,बंदे तूने सुमिरन नहीं किया, परमेश्वर का नाम।
दिन गवाया खाने में , और रात गवाई तूने सोने में,
धन ,माया के लोभ में, करता रहा रात दिन बस काम।
दमकता है रवि , चमकता शशि , टिमटिमाते तारे सारे,
ठहरा गहरा सागर भी , नित जपता रहता प्रभु का नाम।
लोभ , मोह, ईर्ष्या छोड़ो, और छोड़ो ये मन का बैर,
सब रंग तज दीजै जहां के , पीजै हरी नाम का जाम।
लेखक _#shobhavyas
#WritcoQuote
#writcopoem
बिता दिन बीती रात, रीते ही बीते ये " सुबह और शाम ",
मगर ,बंदे तूने सुमिरन नहीं किया, परमेश्वर का नाम।
दिन गवाया खाने में , और रात गवाई तूने सोने में,
धन ,माया के लोभ में, करता रहा रात दिन बस काम।
दमकता है रवि , चमकता शशि , टिमटिमाते तारे सारे,
ठहरा गहरा सागर भी , नित जपता रहता प्रभु का नाम।
लोभ , मोह, ईर्ष्या छोड़ो, और छोड़ो ये मन का बैर,
सब रंग तज दीजै जहां के , पीजै हरी नाम का जाम।
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