...

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इंक़लाब - ए - इश्क़
सुना है,
"इन कागज़ के पन्नों में
एक ख़ुशबू बसी है"
उसे ढूँढ़ रही हुँ,
सोचती हुँ कभी मिली तो
सूंघ कर मालूम होगा,
ये नशा सेहत के लिए ठीक नही|

सुना है,
"इन कलमों में महबूब बसा है"
सोचती हुँ कभी हुआ दीदार महबूब का,
तो ज़माने की बात सच न हो जायें;
हर कहानी की तरह,
" एक अशिक्, जो तबाह...