सुर्ख़ आंखों में
सुर्ख़ आँखों में थी कुछ बात छुपाये बैठे थे
तेरे आने की हम तो आस लगाए बैठे थे
उनको क्या फ़र्क कि मेरी सांस अभी बाक़ी है
वो तो मेरे मरने की चाहत लगाए बैठे थे
सुर्ख़ आँखों में.....
उनको जाना ही था तो पूछो वो क्यूँ आये थे
हम तो अपनी सेज का सपना सजाये बैठे थे
सुर्ख़ आंखों में....
उनके आंखों में अब ना नूर बचा हो शायद
वो मेरी पहचान को ठिकाने लगाए बैठे थे
सुर्ख़ आँखों में....
© Ish kumar
तेरे आने की हम तो आस लगाए बैठे थे
उनको क्या फ़र्क कि मेरी सांस अभी बाक़ी है
वो तो मेरे मरने की चाहत लगाए बैठे थे
सुर्ख़ आँखों में.....
उनको जाना ही था तो पूछो वो क्यूँ आये थे
हम तो अपनी सेज का सपना सजाये बैठे थे
सुर्ख़ आंखों में....
उनके आंखों में अब ना नूर बचा हो शायद
वो मेरी पहचान को ठिकाने लगाए बैठे थे
सुर्ख़ आँखों में....
© Ish kumar