...

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आज "कर्म"
है आज कर्म का पर्व |
है आज कर्म का शोक ||
जो कल बनकर है परिणाम सुनाता,
और कल बनकर है अवसर लाता |
जन्म लिया है "मैं" बनकर,
कर्म किया है "मैं" बनकर |
"हम" बनकर तू खो ना जाना,
पहचान बना तू "मैं" बनकर ||
है आज कर्म का पर्व |
है आज कर्म का शोक ||
जो कल बनकर है परिणाम सुनाता,
और कल बनकर है अवसर लाता |
सफल न हो यदि तुम कभी,
निराश कभी भी मत होना,
"हार" मिले या सीख की,
"हार" मिले या जीत की,
समझ खजाना संसार को,
"ज्ञान" का लुटेरा तू बन जाना,
है आज कर्म का पर्व |
है आज कर्म का शोक ||
जो कल बनकर है परिणाम सुनाता,
और कल बनकर है अवसर लाता |
क्यों अतीत मे जीता है,
जो दुर्बल करके जाता है,
देख तू अपने स्वर्णिम कल को,
जो ख्वाबों को पूरा करने आता है,
है आज कर्म का पर्व |
है आज कर्म का शोक ||
जो कल बनकर है परिणाम सुनाता,
और कल बनकर है अवसर लाता |

अमित कुशवाहा




© Amit Kushwaha
© अमित कुशवाहा "कुश"