...

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दोगुला समाज
कैसा यह दोगुल समाज,
कैसी दोगुली उनकी बातें हैं,
हो जाती शर्मसार यहां सरेआम इंसानियत,
यहां सिर्फ बनती बातें हैं,
आज एक बार फिर जीत गई हैवानियत,
सर-ए-बाजार लुट गई फिर वो आबरू,
और बस खड़ा तमाशा देख रहा ए समाज तू,
नग्न वो स्त्रियां नही,...