खुले मुँह की सीपी
उचटती नींद हूँ
धीमे सहलाओ मुझे
भरी हूँ ख्वाब से
टूट जाने का डर है
हौले से घरसो
होरसे पर चन्दन
खुशबु द्रुत है
छूट जाने का डर है
मधु...
धीमे सहलाओ मुझे
भरी हूँ ख्वाब से
टूट जाने का डर है
हौले से घरसो
होरसे पर चन्दन
खुशबु द्रुत है
छूट जाने का डर है
मधु...