कुछ इस तरह
वो कुछ इस तरह अपना किरदार बदल गयी
जैसे कलम की स्याही
पन्नों पर निशान छोड़ गयी
वो एक चाहत को छोड़
दूसरी चाहत को पाने निकल गयी
वो सुखी रेत की तरह
हाथों से फिसल गयी
न जाने आज कलम चली
रोज की तरह लिखने के लिए
या मन मचलने लगा किसी कहानी के लिए
दिल से वो कुछ इस तरह निकली
जिस तरह कोई...
जैसे कलम की स्याही
पन्नों पर निशान छोड़ गयी
वो एक चाहत को छोड़
दूसरी चाहत को पाने निकल गयी
वो सुखी रेत की तरह
हाथों से फिसल गयी
न जाने आज कलम चली
रोज की तरह लिखने के लिए
या मन मचलने लगा किसी कहानी के लिए
दिल से वो कुछ इस तरह निकली
जिस तरह कोई...