...

4 views

अब सगळी थारी ग़ज़ल
शायद ही लिखबा की सोच,लिखी कोई ग़ज़ल
पण हर नई बात रै मांय,म्हाने दिखी नई गजल

बार बार आखड़्या, उठ्या पाछा चाल पड़्या
नुक्सान को नफ़ो ओ हुयो, सीखी नई गजल

गज़ल तो मन को चंदन है, सदा महकती रहसी
कोनी लिखी बाजारू सेंट सी,सस्ती कोई ग़ज़ल

कोई एक रै खातर तो, बस एक गजल ही होसी
म्हाने तो ई भीड़ मांय, नितका दिखी नई गजल

आताॅं जाताॅं नजराॅं, कई डील छाण्या जद कोई
स्कूल, कॉलेज और दफ्तर मं दिखी सही गजल

हर ग़ज़ल मं थांकी बात, करबौ भोत जरूरी हो
छगन थाॅंका नाम रै पाण ही, बिकी म्हारी गजल
© छगन सिंह राजस्थानी