...

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मेरा चांद मुझ से खफा है -2-
अब तक मेरा चांद खफा है
शायद मेरी इबादतों की यही सजा है
या मेरे महबूब की यही रजा है
अब इसमें भी अपना ही मजा है ।

उसकी रहा तकते रहना
उसकी बाते सोचते रहना
मन ही मन उसकी यादें टटोलते रहना
उससे कुछ ना कहना
उसका हर एक जख्म सहना।

शायद अब नसीब में यही लिखा है
मैने इससे भी बहुत कुछ सीखा है
शायद इसलिए आज ये लिखा है
ना जानें कब से वो ना दिखा है ।

पर है यकीन खुदा की इस इनायत पर
मैं जानता हूं उसने मेरे नसीब में तूझे ही लिखा है
इसलिए तो तुझसे हसीन ना कोई अब तक दिखा है
अब रहना है तेरी यादों में तो यही मंजूर मुझे
सच्ची मोहब्बत को उसका अंजाम कहा ही मिला है ।

अभी तुम्हें जाना है दुर तो जाओ
जो चाहते हो वो पाओ
जितना नाम कमाना है कमाओ
पर जब उपजाओ तो चले आओ
में रहा तकुंगा तुम्हारी
इस बात को अपने दिल में बसाओ।

जिस दिन हम मिलेंगे देखना
कितने फूल खिलेंगे
आएगी रवानी फिजाओं में
दोनो दिलो के हर जख्म सिलेंगे
चारो ओर बस खुशी का मंजर होगा
आखिर अपनो के हाथ में ही तो खंजर होगा।

लड़ेंगे मिलकर दोनो सब से
करेंगे दुआ बस उस रब से
होगा वही जो उसने लिखा होगा
या तो एक बार फिर इश्क़ फना होगा
या इस बार अंजाम दूजा होगा
मिलेगा एक यार को उसका प्यार
या तो एक यार अपने प्यार से जुदा होगा।
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