...

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बचपन
है गुज़ारिश ईश्वर तुझसे
मत छीनो बचपन उनसे
जिसने अभी कल जन्म लिया
आज ही तूने उन्हें ज़िम्मेदारियों में घेर दिया
क्या कुसूर है उस बच्चे का
जिसने धरती पर जन्म लिया
क्यों करता है अंतर बच्चों में
एक लिए सुख तो दूसरे के लिए दुख लिख दिया
रोना आता है जब देखती हूँ
नन्हे हाथों को फैलाये हुए
मांगने है एक वक्त की रोटी
अपना सर झुकाए हुए
पाकर थोड़े से पैसों को
चेहरा उनका खिल उठता है
जब देखती हूं खिले चेहरों को
कुछ पल ही सही दिल को अलग सुकून मिलता है
क्यों ऐसा होता है
कुछ के जीवन मे रोशनी तो कुछ में अंधकार लिखा होता है।
Bhanu