...

2 views

साँवला बादल



सुनो .....
तुमने कल ये कहा मुझसे
कि मैं जा रहा हूँ
पर तुम गए तो नहीं
क्योंकि उसी वक़्त
तुम साँवला बादल बन कर
आकाश में छा गए .......
झूठ नहीं कह रही
उस बादल की रंगत
तुम्हारे बदन के जैसी थी
ठीक मेरी छत के ऊपर फैले थे तुम
और तभी तुम्हारे भीतर समाई बूंदें
तुम्हारा प्यार मुझ पर छिड़कने लगी
कितनी मीठी और सुगंधित थीं वो
मैं भी मदमस्त होकर
अपने दुपट्टे के दोनों छोर पकड़ कर
हवा के संग लहराने लगी
नाचने लगी बिना इस परवाह के
कि कोई देख रहा होगा
और ......
तुम्हारी बूँदों को पीने लगी
अहा ! तुम मुझमें आत्मसात हो गए
उस बादल की रंगत
अभी भी मेरे बदन पर है
उन मीठी बूँदों ने
मुझमें कई फूल खिला दिये
कहीं नहीं गए तुम .......
और न ही जा सकते हो 
फिर किसी दिन जाने का कहोगे
तो कोई और रूप धर कर
मुझमें समा जाओगे
और मैं समेट लूँगी तुम्हें खुद में ......

पूनम अग्रवाल