...

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एक था बचपन
एक था बचपन पानी सा
बहता रहता गुड़धानी सा
थे खिलौने छोटे छोटे...
संसार अपना छोटा सा ।

दिल होता बहुत बड़ा सा
कंचे, गुल्लीडंडामें गड़ा सा,
संबंध मधुर, धन था अपना
खेल खिलौने यही था सपना ।
©®@Devideep3612
दादी नानी की कहानी
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