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डर किस बात का
डर किस बात का जब राख बन जाना है।
प्रेम का दस्तुर है कि दामन पे दाग़ लग जाना है ।
किस्मत करोड़पती है और रोड पति भी ।
जिंदगी को हर रोज कुछ ना कुछ छोड़ जाना है ।।
तलाश कहाँ अब कि जिंदगी चाँद तारों की है।
जो मिल रहा है ठीक वरना उसे भी खो जाना है ।।
चाबुक की चोट जब जब पड़े दाग़ पड़ जाए।
ना लगे चाबुक की चोट हीं उससे हीं तो बचाना है ।
मिटती है जिंदगी भी एक मुकाम हासिल करके ।
कुछ पल का ख़्वाब है जिंदगी फिर तो मिट जाना है ।।
© सोनी
प्रेम का दस्तुर है कि दामन पे दाग़ लग जाना है ।
किस्मत करोड़पती है और रोड पति भी ।
जिंदगी को हर रोज कुछ ना कुछ छोड़ जाना है ।।
तलाश कहाँ अब कि जिंदगी चाँद तारों की है।
जो मिल रहा है ठीक वरना उसे भी खो जाना है ।।
चाबुक की चोट जब जब पड़े दाग़ पड़ जाए।
ना लगे चाबुक की चोट हीं उससे हीं तो बचाना है ।
मिटती है जिंदगी भी एक मुकाम हासिल करके ।
कुछ पल का ख़्वाब है जिंदगी फिर तो मिट जाना है ।।
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