ब्राह्मण कुल का छोरा....
ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ है इसके संस्कार नहीं भूल सकता!!
अपनी औकात , आधिपत्य अपना अधिकार नहीं भूल सकता!!
हूँ मैं इक किसान का बेटा , जीवन में थोड़े बहुत उजाले है ,,
अमावस की वो काली रातें दिन का वो अंधकार नहीं भूल सकता!!
खुद ही हल करना पड़ता है ,जीवन की इस उलझन को ,,
वक़्त की वो लाचारी , पापी पेट का अंगार नहीं भूल सकता!!
सिर्फ महबूबा ही प्यार करे , ये अटल सत्य नहीं जीवन का ,,
" सनम " के अँकवार के खातिर माँ का दुलार नहीं भूल सकता!!
माना वो संगिनी होगी जीवन की ,क्या इतना ही है कर्म मेरा ,,
उनकी मांग की सिंदूर के लिए मैं घर-परिवार नहीं भूल सकता!!
दिखावा स्नेह का करते नहीं पर सदा फिक्र हमारी उनको ,,
जुवां में कड़ुवाहट के साथ पापा का वो प्यार नहीं भूल सकता!!
मिट्टी का है जिस्म मेरा , एक-न-एक दिन धूमिल होना है ,,
जीवन की है यही विडंबना , पर घर-संसार नहीं भूल सकता!!
#कुन्दन_प्रीत
#कुंदन_ग़ज़ल
#कुंदन_कविता
#kundan_preet
#kundan_gazal
#kundan_kavita
#WritcoQuote
#Writing
© कुन्दन प्रीत
अपनी औकात , आधिपत्य अपना अधिकार नहीं भूल सकता!!
हूँ मैं इक किसान का बेटा , जीवन में थोड़े बहुत उजाले है ,,
अमावस की वो काली रातें दिन का वो अंधकार नहीं भूल सकता!!
खुद ही हल करना पड़ता है ,जीवन की इस उलझन को ,,
वक़्त की वो लाचारी , पापी पेट का अंगार नहीं भूल सकता!!
सिर्फ महबूबा ही प्यार करे , ये अटल सत्य नहीं जीवन का ,,
" सनम " के अँकवार के खातिर माँ का दुलार नहीं भूल सकता!!
माना वो संगिनी होगी जीवन की ,क्या इतना ही है कर्म मेरा ,,
उनकी मांग की सिंदूर के लिए मैं घर-परिवार नहीं भूल सकता!!
दिखावा स्नेह का करते नहीं पर सदा फिक्र हमारी उनको ,,
जुवां में कड़ुवाहट के साथ पापा का वो प्यार नहीं भूल सकता!!
मिट्टी का है जिस्म मेरा , एक-न-एक दिन धूमिल होना है ,,
जीवन की है यही विडंबना , पर घर-संसार नहीं भूल सकता!!
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