ऐसा तो नहीं इ़श्क़ में होता उसे कहना
चंदा की तरह सहन में आजा उसे कहना
वीराँ है किसी घर का दरीचा उसे कहना
आँसू भी मेरी आँख के अब सूख चुके हैं
अब दश्त से बहता नहीं चश्मा उसे कहना
कहना के फ़क़त एक ही तकलीफ़ को...
वीराँ है किसी घर का दरीचा उसे कहना
आँसू भी मेरी आँख के अब सूख चुके हैं
अब दश्त से बहता नहीं चश्मा उसे कहना
कहना के फ़क़त एक ही तकलीफ़ को...