...

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मग़र
दिल में उठें है फ़िर ज़ज्बात मग़र क्या कीजे
दुनिया भर के सवालात, मग़र क्या कीजे..

अब भी मिलते हैं उसी तरहा से हँस के मुझसे
औऱ का हाथ लिये हाथ, मग़र क्या कीजे..

यूं तो जीता है हर इक जंग याँ सिकंदर की तरह
दिल गया हार उनके साथ, मग़र क्या कीजे..


© Rajnish Ranjan