...

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अभी कलम पकड़ी है
चले हैं पांव नन्हे इनके पीछे कल जहान होगा,
तय है उठेगी आंधी कलम से या घमासान होगा,

चिंगारी बनी है कलम मेरी शरीफों के मोहल्ले में,
मेरा लिखा जुबान मेरी, मेरा लिखा बयान होगा,

और जल रहे हैं जो देख मेरे हौसले जरा सुन लो,
अभी कलम पकड़ी है चली तो कतले आम होगा,

सब को साथ लेकर, घागर को सागर बनाना है,
फिर ना कोई तुलसी कबीरा और रसखान होगा,

और रकीब और मयार मेरा दोनो साथ चल रहे हैं,
देखना हर किसी का प्रदीप एक दिन अरमान होगा,,

हम न पहुंचे तो कलम पहुंचेगी यकीनन फलक पे,
तब सितारे जमीं पे और ये मुट्ठी में आसमान होगा,

© #mr_unique😔😔😔👎