...

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अभी कलम पकड़ी है
चले हैं पांव नन्हे इनके पीछे कल जहान होगा,
तय है उठेगी आंधी कलम से या घमासान होगा,

चिंगारी बनी है कलम मेरी शरीफों के मोहल्ले में,
मेरा लिखा जुबान मेरी, मेरा लिखा बयान होगा,

और जल रहे हैं जो देख मेरे हौसले...