...

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90s वाला प्रेम करता मैं..
तुम्हारे आने के इन्तजार में,
सावन की बरसातों में भीगता मैं।

कल्पना के आधार पर,
रातों को जाग तुझे लिखता मैं।

प्रेम के इस अपार सागर में,
नन्ही बूंदों की तरह,
तुझमें मिटता मैं।

बिन तुझे देखे भी,
तेरे ख्वाबों के धागे बुनता मैं।

सत्ताईस सावन बीते तेरे बिन,
अट्ठाईस में तुझे ढूंढता मैं।

खुद से ही बाते कर,
कभी हँसता कभी रोता मैं।

उमड़ते भावों के हलचल में,
खुद को खुद ही संभालता मैं।

दुनिया की इस भीड़ में,
बस तुझको तलाशता मैं।

तुझे इस इक्कीस सदी में,
90s वाला प्रेम करता मैं।
© Ashish Morya