वहीं है एक खिलौना टूटा हुआ ...
मेरे पङोस का वो घर
आज खाली हो गया था
कल तक जहाँ से
परिन्दों की चहचहाट सुनाइ दे रही थी
आज, खामोशी में लिपटा हुआ खङा था
उदास, गुमसुम चुपचाप सा....
कुछ शाम की उदासी
कुछ खाली घर की!
एक अजीब सी चुप्पी, एक अजीब सी निस्तब्धता
चारों ओर पसरी हुई थी......
वहां से गुजरते हुए ...
आज खाली हो गया था
कल तक जहाँ से
परिन्दों की चहचहाट सुनाइ दे रही थी
आज, खामोशी में लिपटा हुआ खङा था
उदास, गुमसुम चुपचाप सा....
कुछ शाम की उदासी
कुछ खाली घर की!
एक अजीब सी चुप्पी, एक अजीब सी निस्तब्धता
चारों ओर पसरी हुई थी......
वहां से गुजरते हुए ...