...

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माता - पिता।
माँ बाप से बढ़कर कोई दोलत नही होती,
छाँव की मगर किसको जरुरत नही होती,
दुनिया का खजाना भी मिल जाये तो कम है,
माँ बाप से बढ़कर कोई दोलत नही होती।
इनका कर्ज हम न उतार पाएंगे,
चाये हम मिट्टी मै भी मिल जायेंगे......