होली गीत (फाग )
शीर्षक : राधे लगवा लो थोरी
दोहा :- बनी काठ की घोर चिता , बैठे पुण्य पाप दोई साथ |
पाप रूपी होलिका जरी , पुण्य रूप प्रह्लाद बांटे प्रसाद सब हाथ ||
वासुदेव के लल्ला खेल रहे , व्रजराज की नगरी मे होरी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |
व्रजराज किशोरी लुक छुप भागे, लल्ला मार रहओ भर भर पिचकारी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |
कान्हा मत छेड़ो हमको , हम...
दोहा :- बनी काठ की घोर चिता , बैठे पुण्य पाप दोई साथ |
पाप रूपी होलिका जरी , पुण्य रूप प्रह्लाद बांटे प्रसाद सब हाथ ||
वासुदेव के लल्ला खेल रहे , व्रजराज की नगरी मे होरी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |
व्रजराज किशोरी लुक छुप भागे, लल्ला मार रहओ भर भर पिचकारी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |
कान्हा मत छेड़ो हमको , हम...