...

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करना कुछ और है
उलझनों का शोर थमता नजर नहीं आ रहा था
हमको कुछ और रास्ता नजर नहीं आ रहा था ।
इस उलझन को सुलझाना चाहते थे
अन्तर्मन के शोर को मिटाना चाहते थे।
इक दिन बैठे बेठे यूं ही विचार आया
उसी वक्त हमने कृष्णा का दर्शन पाया।
हम तो अपने द्वन्दों का हल चाहते थे
सुकून जो बीते वो पल चाहते थे ।
हमने की प्रार्थना, पुछा हे मुरारी
हमको ही सताती है क्यों परेशानी सारी।
कृष्णा हमसे कटु सत्य बोले
जो खुद से...