हिंदी की यात्रा
जो शर्मा रहे हिंदी बोलने से
ज़रा सुन लें इसकी गाथा ,
लगभग दसवीं शताब्दी में उदय के साथ
शुरू हुई थी अविस्मरणीय यात्रा |
संस्कृत ,प्राकृत से लेकर जन्म
तुलसी ,सूर ,मीरा ने रखा तरोताजा,
भक्ति आंदोलन की पटरी पर दौड़ाकर
जन -जन तक पहुँचाई साहित्यिक धारा |
परन्तु समय- समय पर शासकों ने
व्यावहारिक भाषा में, ऐसा फेरबदल...