चाहत इक अनचाही सी
जानते हैं हम तुम्हारे पा नहीं सकते
इन ज़ंजीरों के चलते तुम चाह नहीं सकते
दिल दुखता तो बहुत है मगर,
आँसू तक...
इन ज़ंजीरों के चलते तुम चाह नहीं सकते
दिल दुखता तो बहुत है मगर,
आँसू तक...