बहनों अब शस्त्र उठाओ
ना विचार नेक है, ना मन स्वच्छ है
जो सदा अराजकता के पक्ष रहे
क्या उनमे थोड़ी भी मानवता ना बची
जो मासूम बेटियों को भी ना बक्श रहे
गली-मोहल्ले हैं देते गवाही
कि,सही है जो हमारे नेत्र नहीं
खुले घूमते सब जगह दरिंदे
सुरक्षित कोई भी क्षेत्र नहीं
जो अच्छे से चलना भी ना सीखी
जो घर में लाती मीठी किलकारी
जो बुनती मां-बाप की...
जो सदा अराजकता के पक्ष रहे
क्या उनमे थोड़ी भी मानवता ना बची
जो मासूम बेटियों को भी ना बक्श रहे
गली-मोहल्ले हैं देते गवाही
कि,सही है जो हमारे नेत्र नहीं
खुले घूमते सब जगह दरिंदे
सुरक्षित कोई भी क्षेत्र नहीं
जो अच्छे से चलना भी ना सीखी
जो घर में लाती मीठी किलकारी
जो बुनती मां-बाप की...