गर्दिश
गर्दिशों के बादल में
धूल उड़ाने का अपना मज़ा है
भीगता है मन जितना बारिश में
जल कर ज़माना धुआं धुआं है
और क्यूँ करुँ परवाह...
धूल उड़ाने का अपना मज़ा है
भीगता है मन जितना बारिश में
जल कर ज़माना धुआं धुआं है
और क्यूँ करुँ परवाह...