...

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बारिश के थमने के बाद
बरसात के थमने के बाद
सिर्फ बारिश ही नहीं थमती
उसके साथ साथ थम जाती है
सैकड़ो जिंदगीयाँ,
झोपड़ी से रिसते उस बरसात
के पानी के साथ साथ रिस जाती है
उनकी दिन भर की मेहनत भी
नहीं बचा पाते वो उसमें
अपने लिए दो पल का सुकूँ,
बढ़ते हुए पानी के बीच
बड़ा देते है वो अपने दर्द को भी
और
बहा देते है वो अपने आँसू भी
उस झोपड़ी में टंगी
बांस की लकड़ी के ऊपर
गठरी में नहीं इकठ्ठा रख पाते
वो बाँध के तो वो है
चंद सुकूँ की साँसे
और अपने बच्चों की खुशी
बहा ले जाती है
वो बारिश उस झोपड़ी में से
रह जाती है तो झोपड़ी
में से टपकती बूँदो की आवाज
और वो मिट्टी......
©️काजल नायक



© kajal Nayak (kaju)