प्रेम अनंत है भोर का
प्रेम की पुकार बड़ी अनमोल होती है,
जिसकी गती की तुलना मुश्किल है,
मुश्किल है उसकी परख करना,
दूर खड़े कस्ती में,
उम्मीदो की अमल रखना,
कैसे बछिया अपनी मां को बुलाती,
कैसे गइया सब छोड़ बछिया पास जाती,
दीवारों पे चलती चींटिया,
अपनों से कैसे मिल जाती,
पसीने से लदा पुरुष,
अपनी लुगाई को सोचता, ...
जिसकी गती की तुलना मुश्किल है,
मुश्किल है उसकी परख करना,
दूर खड़े कस्ती में,
उम्मीदो की अमल रखना,
कैसे बछिया अपनी मां को बुलाती,
कैसे गइया सब छोड़ बछिया पास जाती,
दीवारों पे चलती चींटिया,
अपनों से कैसे मिल जाती,
पसीने से लदा पुरुष,
अपनी लुगाई को सोचता, ...