...

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*तुम्हारा मुझसे लगाव भाता है मुझे,मगर तुम्हारी नादानी नही_
तुम्हारा मुझसे लगाव भाता है मुझे,
मगर तुम्हारी नादानी नही_
अब तुम कोई नौसिखिया तो नही,
जो तुम्हारी हर राहे हो सही_
आज मेरी सोहबत लगती तुम्हे खतरे की घडी,
भरोसे की कोई गुंजाईश न रखना चाहते मुझपे हू मै इतना अनाडी?
मै रहता हू पास तेरे,
फिर भी पाया तुमने दूर मुझे_
बेईमान नही है एक भी लब्ज मेरे,
फिर भी लगता रहा मै फरेबी तुझे_
सजा देता गया तू मुझे,
जिसका मै हकदार नही_
तुम्हारा मुझसे लगाव भाता है मुझे
पर तुम्हारी नादानी नही_
क्या गुनाह कर दिया है मैने,
जो तुझे तनिक भी यकिन नही मुझपे_
कैसी नाराजगी है तेरी मुझसे,
जिसकी बेबुनयादी दोष मुझपे_
© A.Amar